नाखून से पता लगाया जा सकता है सेहत का, नजरअंदाज करना पड़ेगा भारी!

वाशिंगटन
नाखून से इंसान की सेहत का पता लगाया जा सकता है। डॉक्टर के अलावा आप भी अपने नाखून देखकर अपनी सेहत के बारे में जान सकते हैं। दरअसल, नाखून शरीर का अहम हिस्सा होते हैं जो सेहत का राज बताते हैं। जिसकी हेल्थ सही नहीं रहती, उसके नाखूनों में कुछ लक्षण नजर आने लगते हैं। इसका मतलब है कि नाखून आपको संकेत दे रहे हैं कि आपके शरीर में कुछ तो गड़बढ़ है और तुरंत डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है।

नाखून विटामिन की कमी से लेकर कैंसर तक की जानकारी दे सकते हैं। अगर आपके नाखून में भी नीचे बताए हुए संकेत नजर आते हैं तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। नाखूनों का पीलापन बहुत लंबे समय तक नेल पॉलिश लगाने के कारण भी हो सकते हैं लेकिन नाखून के आसपास के अन्य बदलावों पर भी ध्यान देना काफी जरूरी है। यदि नाखूनों के आसपास की त्वचा पीली होती है तो वह थायरॉयड की निशानी भी हो सकते हैं। थायरॉइड के कारण नाखून मोटे, सूखे, टूटने वाले हो सकते हैं। अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी एसोसिएशन के मुताबिक, सूजी हुई उंगलियां, घुमावदार नाखून, नाखून के ऊपर की त्वचा का मोटा होना थायरॉयड की निशानी हो सकता है।

नाखूनों पर लकीर : नाखूनों पर लकीर दिखना सबसे गंभीर लक्षणों में से एक है। नाखूनों पर दिखने वाली लकीर मेलेनोमा का संकेत हो सकता है जो कि नाखूनों के नीचे होने वाला एक प्रकार का स्किन कैंसर है। यह पैर और हाथों की उंगलियों में भी हो सकता है। लोग अक्सर नाखून पर दिखनी वाली लकीर को अनदेखा कर देते हैं लेकिन इसे अनदेखा करना गलत हो सकता है।

नाखून में काले या भूरे रंग की लकीर दिखें तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। लकीरों के साथ नाखून से खून आ सकता है, नाखून में दरार आ सकती है और आसपास की त्वचा भी काली हो सकती है। मेलेनोमा, स्किन कैंसर का सबसे खतरनाक रूप है जो आमतौर पर यूवी किरणों के संपर्क में आने से होता है। इसे मेलानोनीचिया भी कहा जाता है जो अफ्रीकी, अमेरिकी, हिस्पैनिक, भारतीय, जापानी और अन्य गहरे रंग की स्किन वाले लोगों में हो सकता है।

 कैंसर रिसर्च यूके के अनुसार, कोई भी जानलेवा बीमारी वाले लगभग 35 प्रतिशत लोगों के नाखून नरम हो जाते हैं और नाखून के बगल की त्वाचा सामान्य से अधिक घुमावदार हो जाती है। साथ ही साथ उंगलियों के सिरे सामान्य से बड़े हो जाते हैं। इस स्थिति को नाखून या फिंगर क्लबिंग कहते हैं। फिंगर क्लबिंग कई गंभीर स्थितियों जैसे सिस्टिक फाइब्रोसिस, हार्ट डिसीज, कैंसर या अन्य आनुवांशिक बीमारियों के कारण हो सकता है।

एक्सपर्ट बताते हैं कि फेफड़े के कैंसर में लगभग 80 से 90 प्रतिशत मामलों में फिंगर क्लबिंग जिम्मेदार होता है। गुर्दे या थायरॉयड की समस्या होने पर होरिजोंटल लकीरें रेखाएं नाखून पर बन जाती हैं। साथ ही साथ यह तेज बुखार, कोविड, मम्बल, खसरा या निमोनिया के कारण भी हो सकती हैं। जो लोग डाइट में पर्याप्त प्रोटीन और जिंक का सेवन नहीं करते उनके नाखूनों में भी होरिजोंटल लकीरें दिखाई देती हैं। यह स्थिति एक्जिमा या सोरायसिस का साइड इफेक्ट भी हो सकता है।

पीले और मोटे नाखून डायबिटीज का संकेत हैं। डायबिटीज वाले लोगों के नाखून पीले और मोटे हो जाते हैं। डायबिटीज वाले लोगों में काफी पहले से ये लक्षण नाखूनों पर नजर आने लगते हैं। क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, अगर किसी को सोरायसिस (त्वचा की स्थिति) की शिकायत होती है तो नाखून टूट सकते हैं। इस स्थिति के अन्य लक्षण कोहनी, घुटनों और खोपड़ी पर भी नजर आने लगते हैं। सोरायसिस वाले आधे से अधिक लोगों की हाथ और पैरों की उंगुलियों के नाखूनों में इसके लक्षण नजर आने लगते हैं। पिटिंग की स्थिति में आपके नाखूनों में गहरे छेद हो सकते हैं या वे अधिक नुकीले हो सकते हैं।

 

 

India Edge News Desk

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